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ग्रामीण भारत का धार्मिक एवं आध्यात्मिक पर्यटन के विकास में विशेष हिस्सेदारी : चारधाम यात्रा सबसे प्रमुख

Spiritual Yatra - Chardham yatra

भारत गावों का देश है और ग्रामीण समुदायों का भारतीय स्वदेशी पर्यटन में बहुत बड़ा योगदान है। आज भी भारत की ६५% आबादी कृषि पे निर्भर करती है और ग्रामीण निवास करती है। भारतीय पर्यटन में तीर्थ से आने वाले आर्थिक हिस्सेदारी सबसे ज्यादा है। भारत में हर वर्ग के लोग तीर्थ करते है। अंतरराज्यीय ग्रामीण समुदाय चाहे बंगाल , बिहार , झारखंड , उड़ीसा, तेलंगाना , कर्नाटक, आंध्रप्रदेश और गुजरात  ही क्यों न हो इनकी भारतीय स्वदेशी पर्यटन में बहुत बड़ी हिस्सेदारी है ।

भारत के सर्वश्रेष्ठ और सर्वाधिक घुमा जाने वाला तीर्थ स्थलो की सूची में ये १० तीर्थ स्थान सबसे उपर आते है।  सनातन हिंदू संप्रदाय के शास्त्रीय एवं पौराणिक कथाओं के दृष्टिकोण से ये निम्नलिखित तीर्थस्थान सर्वाधिक महत्व रखते है । जैसे

  • चारधाम यात्रा (char dham yatra)
  • केदार बद्री यात्रा (kedar Badri Yatra)
  • सम्पूर्ण भारत की चारधाम यात्रा (Indian Chardham Yatra)
  • राम जन्मभूमि यात्रा (Ram Janmbhumi Yatra)
  • रामायण यात्रा (Ramayan Yatra)
  • द्वादश ज्योतिर्लिंग यात्रा (Dwadas Jyotirlinga Yatra)
  • अमरनाथ यात्रा (Amarnath Yatra)
  • कैलाश मानसरोवर यात्रा (Kailash Mansarovar Yatra)
  • वैष्णो देवी यात्रा (Vaishno Devi Yatra)
  • आदि कैलाश एवं ओम पर्वत की यात्रा (Aadi Kailash & Om Parvat Yatra)


भारत में तीर्थ यात्रा का महत्व:

आर्थिक महत्व: ग्रामीण भारत से तय की जाने वाली तीर्थ यात्रा भारत के पर्यटन उद्योग का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह देश के लिए राजस्व का एक प्रमुख स्रोत है और लाखों लोगों को रोजगार प्रदान करता है।

सामाजिक महत्व: तीर्थ यात्रा विभिन्न जातियों , संप्रयादयों और संस्कृतियों के लोगों को एक साथ लाती है। यह सामाजिक एकता और सद्भाव को बढ़ावा देता है।

सांस्कृतिक महत्व: तीर्थ यात्रा भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने में मदद करती है। यह लोगों को अपनी जड़ों से जोड़ता है और उन्हें अपनी संस्कृति के बारे में शिक्षित करता है। जैसे श्री आदिगृरु शंकराचार्य ने प्राचीन काल में ही हिमालयन चार धाम यात्रा की परिकल्पना कर ली थी। विशाल भारत के चारो दिशाओं में फैले सांस्कृतिक और धार्मिक संपदा को आपस में जोड़ने के लिए उन्होंने एक अनोखी पहल की। भारत के पवित्र एवं महान तीर्थों को एक साथ जोड़ने के लिए उन्होंने धार्मिक चतुर्भुजीकरण (Cultural Quadrangle) किया।

आध्यात्मिक महत्व: तीर्थ यात्रा लोगों को आध्यात्मिक ज्ञान और शांति प्राप्त करने में मदद करती है। यह उन्हें अपने जीवन में अर्थ और उद्देश्य खोजने में मदद करता है।

ग्रामीण समुदायों का योगदान:

आतिथ्य: ग्रामीण समुदाय तीर्थयात्रियों को गर्मजोशी और उदारता से स्वागत करते हैं। वे उन्हें स्थानीय व्यंजन और संस्कृति का अनुभव प्रदान करते हैं।

रोजगार: तीर्थ यात्रा ग्रामीण क्षेत्रों में लाखों लोगों को रोजगार प्रदान करती है। यह स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं को मजबूत करने में मदद करता है।

संरक्षण: ग्रामीण समुदाय तीर्थ स्थलों और उनके आसपास के वातावरण को संरक्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

अंतरराज्यीय सहयोग:

भारतीय स्वदेशी पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न राज्यों के ग्रामीण समुदायों के बीच सहयोग महत्वपूर्ण है। यह सहयोग निम्नलिखित तरीकों से किया जा सकता है:

सूचना साझाकरण: विभिन्न राज्यों के तीर्थ स्थलों और पर्यटन आकर्षणों के बारे में जानकारी साझा करने के लिए एक मंच स्थापित किया जा सकता है।

सामान्य विपणन: भारत के तीर्थ स्थलों को एक एकीकृत ब्रांड के रूप में विपणित किया जा सकता है।

संयुक्त पैकेज: विभिन्न राज्यों के तीर्थ स्थलों को शामिल करने वाले पर्यटन पैकेज विकसित किए जा सकते हैं।

भारतीय स्वदेशी पर्यटन में ग्रामीण समुदायों की महत्वपूर्ण भूमिका है। उनके योगदान को बढ़ावा देने के लिए सरकार और निजी क्षेत्र को मिलकर काम करना चाहिए।

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